Swati Sharma

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लेखनी कविता -23-Nov-2022:- ज़िंदगी

दैनिक प्रतियोगिता:-

कविता:- ज़िंदगी:-

ज़िंदगी हमें जीना सिखाती है। 
हमें चलना आए ना आए, 
चलना सिखाती है। 
हम लाख कोशिशें करें मुंह मोड़ने की,
वो हमें सामना करना सिखाती है। 
हमें चाहे चित्रकारी आए या ना आए, 
मगर रंग भरना सिखाती है। 
कदम यदि लड़खड़ाएं कभी हमारे, 
तो हमें संभालना सिखाती ही। 
चाहे कभी रातों की नींदें उड़ भी जाएं हमारी, 
फिर भी हमें सोना सिखाती है। 
जब किसी बात से हम अकड़ जातें हैं, 
तो हमें झुकना सिखाती है। 
जब कभी हम थक जाएं, 
तो हमें रुककर बैठना सिखाती है। 
जब हम बेरंग हो जाते हैं, 
तो हंसना- मुस्कुराना सिखाती है। 
जब कभी हौंसला टूट जाता है हमारा, 
तो हमें मज़बूत बनना सिखाती है। 
जब कभी हम मौन हो जाते हैं, 
तो हमें बोलना सिखाती है। 
जब कभी हम हार जाते हैं, 
तो हमें लड़ना सिखाती है। 
ज़िंदगी हसीं होती है दोस्तों, 
नित नया पाठ हमें पढ़ाती है। 
हां हर कदम पर हमें आजमाती है ,
ज़िंदगी हमें जीना सिखाती है।

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2 Comments

Mohammed urooj khan

25-Nov-2022 12:22 PM

लाजवाब 👌👌👌

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Swati Sharma

25-Nov-2022 01:47 PM

हार्दिक आभार एवम अभिनंदन 🙏🏻😇

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